जज और मजिस्ट्रेट में क्या अंतर होता है जज और मजिस्ट्रेट दोनों के क्या काम होते हैं

जज और मजिस्ट्रेट के बारे में तो आप लोगों ने सुना ही होगा तो आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं कि जज और मजिस्ट्रेट में क्या फर्क होता है और इन दोनों के क्या काम होते हैं तो चलिए शुरू करते हैं




 

 जज और मजिस्ट्रेट के बारे में जानने से पहले आपको यह जानना होगा कि केस दो तरह के होते हैं 

  • सिविल केस 
  • क्रिमिनल केस 


सिविल केस


सिविल केस जिनको दीवानी मामले भी कहा जाता है और क्रिमिनल केस जिनको फौजदारी मामले भी कहा जाता है जहां पर बात अधिकारों की होती है हर्जाना मांगा जाता है कंपनसेशन की डिमांड की जाती है तो उनको सिविल केस कहा जाता है जिसकी राइट टो प्रॉपर्टी आप की प्रॉपर्टी पर आपका अधिकार होता है लेकिन अगर कोई आ करके आप की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लेता है तो आप कोर्ट जाते हैं उस प्रॉपर्टी पर कब्जा वापस लेने के लिए तो यहां पर आपके राइट का वायलेशन हुआ है आप अपने राइट के लिए केस क फाइल कर रहे हैं तो यह होगा सिविल केस 

इसी तरीके से आप पूजा करने जा रहे हैं नमाज पढ़ने जा रहे हैं लेकिन कोई आपको रोक देता है तो यहां पर भी यह आपका राइट है और उसका वायलेशन हो रहा है यहां पर जो केस फाइल करेंगे वह होगा इसी तरीके से आप पार्टनरशिप में किसी के साथ कोई काम करते हैं और पार्टनरशिप को आप खत्म  करना चाहते हैं तो यह भी बनेगा सिविल केस  वही हम किसी के साथ कॉन्ट्रेक्ट करते है और उसको फिर आप तोड़ देते हैं तो यहां पर केस बनता है सिविल का 


 

क्रिमिनल केस


 जितने भी मामले ऐसे होते हैं जहां पर हर्जाना देना होता है कंपनसेशन देना होता है तो वह होते हैं सिविल मामले पर कोई ऐसा मामला है जिसमें की सजर डिमांड की जा रही है तो उसे कहा जाता है क्रिमिनल केस फौजदारी मामले डरते हैं किसी को जान से मारने की धमकी देते हैं तो यह है क्रिमिनल केस होते हैं


 और कुछ केस ऐसे होते है जो सिविल और क्रिमिनल दोनों होते है  मानहानि हुई आपकी मानहानि करता है और आप उसे सिर्फ कंपनसेशन लेना चाहते हैं पैसे लेना चाहते हैं तो यह केस बनेगा सिविल केस  और आप सजा  दिलाना चाहते हैं तो ये क्रिमिनल केस बनेगा  यह दोनों चीजें ही समझना काफी इजी हो जाएगा कि 


जज और मजिस्ट्रेट में क्या फर्क होता है और मजिस्ट्रेट के क्या-क्या काम होते हैं 


इसी से आप समझ जाएंगे दोनों में फर्क क्या होता है 


1 .जो सिविल मामले की सुनवाई करते हैं उनको जज कहा जाता है जबकि क्रिमिनल मामलो को देखने वाला मजिस्ट्रेट होता है  यानी दंडाधिकारी कहा जाता है  मजिस्ट्रेट  भी कई तरह के होते है फर्स्ट क्लास सेकंड क्लास जुडिशल मजिस्ट्रेट मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सिविल जज और मजिस्ट्रेट लबोर कोर्ट में बैठते है  

2.  जज लोअर कोर्ट में छोटे सिविल मामलो को देखता है और मजिस्ट्रेट  5 साल तक की सजा वाले केस देखता है  

3. जिला स्तर पर जज डिस्ट्रिक्ट जज और मजिस्ट्रेट  को सेशन जज कहा जाता है 

4.  सेशन जज फ़ासी की सजा भी दे सकता है लेकिन उस पर कोर्ट की मोहर लगना बेहद जरूरी होती है 

 


निष्कर्ष 


उम्मीद करता हु आप समज गए होंगे  जज और मजिस्ट्रेट में क्या अंतर होता है जज और मजिस्ट्रेट दोनों के क्या काम होते हैं अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट करके जरूर बताये 



 

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