हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में आज जानगे Police Mobile Phone को कैसे Track करती हे, How Police Track Phones in India के बारे में यदि आप नहीं जानते तो इस पोस्ट को पूरा जरूर पड़े अगर आप जानते है तो कमेंट में जाकर जरूर बताये चलिए शुरू करते है
पुलिस किसी का भी सेल फोन एकदम पिन पॉइंट पर ट्रैक नहीं कर सकती पुलिस आपका फोन पिन पॉइंट पर तभी ट्रैक कर सकते हैं जब आपके मोबाइल में कोई जीपीएस एप्लीकेशन इंस्टॉल हो और आपके मोबाइल का डाटा ऑन हो और आपने जीपीएस मोड ऑन किया हो तो ऐसे में पुलिस को आपके कंप्यूटर या आपके मोबाइल का आईपी एड्रेस पता चल जाएगा तो पुलिस आपका बहुत ही आसानी से आप को ट्रेस कर सकती है
और आप की लोकेशन का पता लगा सकती है और आप जहां भी खड़े हैं पुलिस आईपीएस को ट्रैक करते हुए सीधे आपके पास आ जाएगी लेकिन ऐसे केसेज में यह सब रिक्वायरमेंट पूरा होना नामुमकिन है ऐसे बहुत ही कम चान्सेस होते हैं जब पुलिस किसी क्रिमिनल को ट्रैकिंग बाय जीपीएस से उसकी लोकेशन का पता लगाती हो
लेकिन मान लीजिए कोई क्रिमिनल है जिसके पास नोकिया 3310 मोबाइल यूज कर रहा है तो अब आप आईडिया लगाया पुलिस क्रिमिनल की सही लोकेशन का पिन प्वाइंट कैसे मालूम लगाएगी क्योंकि मोबाइल में ना तो इंटरनेट होता है और ना ही जीपीएस और जब इंटरनेट नहीं होगा तो जीपीएस किस काम का तो एक साधारण मोबाइल को ट्रेस कैसे सकती है
ऐसे केसेज में पुलिस क्रिमिनल द्वारा यूज किए जा रही सिम को ट्रेस करते हैं लेकिन पुलिस क्रिमिनल की एकदम पिन पॉइंट वाली लोकेशन का पता नहीं लगा सकते जहां क्रिमिनल खड़ा है बस पुलिस को एक आईडिया मिल जाता है कि क्रिमिनल इस कॉलोनी या इस सेक्टर में है
क्योंकि पुलिस उन क्रिमिनल के सेल फोन में यूज किए जा रहे सिम के सिग्नल पर ट्रैक करता है और यह पता लगाते हैं इस सिम को कौन सी लोकेशन के टावर से सिग्नल मिल रहे हैं तो पुलिस कोई आईडिया हो जाता है कि क्रिमिनल 1 किलोमीटर की रेंज के दायरे में ही है उसको यह पता चल गया कि क्रिमिनल हम से 1 किलोमीटर के दायरे में है
लेकिन पुलिस क्रिमिनल को 1 किलोमीटर के दायरे में भी क्रिमिनल को सर्च नहीं कर सकती क्योंकि पुलिस को जिस टावर की लोकेशन से सिग्नल मिल रहे हैं तो उस टावर में चारों तरफ यानी कि सर्कल में 1 किलोमीटर हो जाता है और सर्कल में किसी के सिंगनल सर्च करना पुलिस के लिए काफी हार्डवर्क हो जाता है
तो पुलिस Triangulation का यूज करते हैं और आपको तो पता है एक ही लोकेशन पर काफी सारे मोबाइल टावर होते हैं और ऐसे में पुलिस टावर पर फोकस करते हैं और यह पता लगाती है कि क्रिमिनल को कौनसे-कौनसे टावर सिग्नल मिले थे और उसके हिसाब से यह आइडिया मिल जाता है
और ज्यादा टावर की रेंज में पुलिस को लग जाता है कि क्रिमिनल दूर है रेंज में मिल रहा है पुलिस वालों को यह पता लग जाता है कि 10 से 20 मीटर की दूरी में है और पुलिस को सर्च करने में आसानी हो जाती है
निष्कर्ष
दोस्तों इस पोस्ट में आप ने जाना पुलिस फ़ोन कैसे ट्रैक करती है अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी तो शेयर जरूर करे
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