रोजा रखने की दुआ, रोजा खोलने की दुआ - रमजान मुबारक 2021

अस-सलामु अलायकुम सभी को रमजान का महीना मुबारक दोस्तों आज के इस जानगे रोजा रखने की दुआ और नियत के बारे में पूरी जानकारी के बारे में दोस्तों रमजान का महीना हमारे लिए पाक महीना होता है रमज़ान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते है  

दोजख़ के दरवाज़े बंद हो जाते है रमजान में नेकी और इबादत का महीना है क्युके रमजान के  रमजान रखते है दुआ करते है जकात देते पंच वक़्त नमाज़ पड़ते है अल्लाह की इबादत करते है और बुरे कामो दूर रहते है दोस्तों रमजान में लोग तरावीह की नमाज़ भी पड़ते है लेकिन आज जानगे रोजा रखने की दुआ और नियत के बारे में पूरी जानकारी।

रोजा रखने की दुआ, रोजा खोलने की दुआ - रमजान मुबारक 2021


रोजा रखने की नीयत 


प्यारे इस्लामी भाइयो रोजे में नीयत करना बहुत जरूरी होता है मतलब नियत करना फर्ज है इस्लामी भाइयो रोजा अफ्तार  बाद आपको उसी रात को अगले दिन के  रोजे नीयत  कर लेनी चाहिए, मेने नियत की रोजा रखने की इस इस तरह अक़ीदा करने से भी आपकी नियत हो जाती है 
इस्लामी भाइयो ऐसा नहीं है के आप उसी रात नियत करे  आप जब सेहरी करे जब आपको नियत करना वाजिब होता है इसलिए आपको सेहरी करते वक़्त नीयत में रोजा रखने की दुआ जो की आप व बि सोमि गदिन नवई तु मिन सेहरी रमजान कहने से नीयत पूरी हो जाती है 

अगर आपको रमजान दुआ नहीं आती तो आप घर  में बड़ो से पूछ सकते है या मेरे इस वेबसाइट आकर जान सकते है अगर आप दुआ नहीं पढ़ते  रोज़े का सवाब कम हो  जाता है 

रोजा रखने की दुआ


रोजा रखने की दुआ


इस्लामी भाइयो मेने आपको अब रोजा रखने की दुआ बतानी है नियत करने के बाद आपको व बि सोमि गदिन नवई तु मिन सेहरी रमजान  पढ़ना है हमारा दिन कुछ भी काम करने से पहले नियत करने की बात कहता है और नीयत के बाद  पड़ना जरूरी होता है 
इसलिए आपको दुआ जरूर पढ़नी चाहिए सहरी खाने के बाद यानी सुबह की नमाज से कम से कम 10 मिनट पहले यह दुआ (Ramzan ki Dua) पढ़ लेनी चाहिए यह भी एक सबाब का काम है


हिंदी में रोजा रखने की दुआ
व बि सोमि गदिन नवई तु मिन शहरि रमजान

इंग्लिश में रोजा रखने की दुआ
Wa bisawmi ghadin nawaitu min shahri ramadan

अरबी में रोजा रखने की दुआ
وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ.

हिंदी में दुआ का मतलब
मैंने रमजान के कल के रोजे की नियत की।

रोजा खोलने की नीयत


प्यारे इस्लामी भाइयो रोजा रखने के साथ-साथ रोजा खोलने की दुआ और नियत भी अलग-अलग  होती है। आप चाहें तो ज़ोहर के वक़्त नीयत कर सकते हैं। अगर ज़ोहर में नीयत कर ली जाए कि इफ्तार में मेरा रोजा पूरा हो जाएगा तो गोया के  यह बिलकुल नहीं होता कि आप उसी वक्त से खाना शुरू कर दें।

 ऐसा करने से आपका रोजा टूट जाएगा और रोजे का कोई सवाब भी नहीं मिलेगा। ऐसे में समय पर ही इफ्तारी
करनी चाहिए

रोजा खोलने की दुआ

रोजा खोलने की दुआ


जैसे रोजा रखने की दुआ होती है वैसे ही रोजा खोलने की भी दुआ अलग होती है रोजा खोलते वक़्त यह पढ़े -

हिंदी में रोजा खोलने की दुआ
अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु, व-बिका आमन्तु, व-अलयका तवक्कालतू, व- अला रिज़क़िका अफतरतू

इंग्लिश में रोजा खोलने की दुआ
Allahumma Inni Laka Sumtu wa Bika Aamantu wa ‘Alayka Tawakkaltu wa ‘Ala Rizq-Ika Aftarthu.

अरबी में रोजा खोलने की दुआ
اَللّٰهُمَّ اِنَّی لَکَ صُمْتُ وَبِکَ اٰمَنْتُ وَعَلَيْکَ تَوَکَّلْتُ وَعَلٰی رِزْقِکَ اَفْطَرْتُ.

दुआ का हिन्दी में मतलब
ऐ अल्लाह, मैंने तेरी ही रज़ा के लिए रोजा रखा और तेरी ही रिज़्क पर इफ्तार किया

 
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