Salam Karne ka Sahi Tarika kya hai- सलाम का मतलब
अस्सलाम अलयकुम दोस्तों आज इस पोस्ट में जानगे Salam Karne ka Sahi Tarika kya hai के बारे में दोस्तों मुसलमान भाई का मुसलमान भाई पर सलाम करना सुन्नत है आज में आपको सुन्नत और सही तरीक़ा बताने वाला हु चलिए शुरू करते है
अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह व बरकातहू का मतलब क्या है
सलाम के मायने फरमाबरदारी ऐब और कमी से बरी होना है, किसी परेशानी और तकलीफ से निजात पाना है सलाम का मुआयना सुलह करवाना भी होता है मुसलमान भाइयो को आपस सलाम करना चाहिए यानी की अस्सलामु अलैकुम का जवाब वालेकुम अस्सलाम में देना चाहिए
मुस्लिम भाई का सलाम करना सुन्नत है और उस सलाम का जवाब देना वाजिब है और वाजिब का स्वाब सुन्नत से कहि ज्यादा होता है इसलिए जब आप किसी से सलाम करे तो उसका जवाब देना वाजिब है अगर आपने उस सलाम का जवाब नहीं दिया किसी बहाने से तो आप गुनहगार है याद रखे
हदीस : नबी ए पाक सल्लाहु अलैहि वस्सलाम ने इरशाद किया लोगो में अल्लाह के क़ुरब और रहमत वाला बंदा वह है जो सबसे पहले सलाम करता है
सलाम करने के फायदे आदाब
- जो बंदा पहले सलाम करता है उसके अंदर अजीजी और तवज्जो पैदा होती है और अल्लाह ताला अजीजी बन्दों को पसंद करता है
- सलाम इस तरह से करे की सलाम की आवाज़ सामने वाले के कानो को आसानी से सुनाई दे सके नहीं तो वह जवाब का हक़दार नहीं होगा उसी तरह जवाब देने वाला भी इसी अंदाज में जवाब दे के सलाम करने वाला सुन सके
- जब कोई आपसे सलाम करता है तो अदब और बेहतर ढंग से जवाब दे
- अपने रिश्तेदारों दोस्तों छोटे बड़े अनजान मुस्लिमो को सलाम करे
- सवार करने वाले और पैदल चलने वालो को भी सलाम करे
- अपने मेहरम को सलाम करे
- जब घर या मस्जिद में दाखिल होतो सभी को सलाम करे
- मुस्लिम और गैर मुस्लिम एक जगह इकटे हो तो मुस्लिम इरादे से मुलमानो को सलाम करो
- जब किसी के पास फ़ोन और मैसेज आता है तो सलाम करने के बाद बातचीत करो
ऐसे लोगो को सलाम करना जायज़ नहीं है
- बेईमान लोगो को सलाम न तो करे और न ही उनके सलाम का जवाब दे यदि वह सलाम करता है तो सिर्फ 'अलैक' कहे
- जिनदीक को सलाम ना करे
- जो आदमी सरेआम खुल्लम खुल्ला बुरे काम करता है ऐसे बुरे आदमी को सलाम करना मकरूह है
- जवान और अजनबी औरतो को सलाम करना जायज़ नहीं है और ना ही औरतो का जवान और अनजान से सलाम करना वाजिब है हा यदि औरत बूढ़ी है और बुजुर्ग है तो सलाम जायज है
- बिदअती को सलाम करना जायज नहीं है
इन मौकों पर सलाम ना करे
- नमाज पढ़ने वालो को
- दिनी बातो को बयान जारी करते वक़्त
- अज़ान देने वालो को
- इक़ामत की अज़ान देने वालो को
- खुत्बा देने वालो को
- खाना खाने वालो को
- पेशाब और पैखाना करने वालो को
- बीवी से हमबिस्तरी करते वक़्त
- जिक्र करने वालो को
- जिस आदमी का सतर खुला हुआ हो
mashallah
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