Taqdeer Kya Hai Unke Baare Me Kuch Riwayate | तक़दीर क्या होती है

अस-सलामु अलायकुम दोस्तों स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में आज के इस टॉपिक में हम बात करने वाले है तकदीर क्या है इसी के बारे में जब कोई अल्लाह का बंदा नेक और बुरे काम करता है अल्लाह ताला उसकी तक़दीर को पहले ही मुकर्रर कर देता है तकदीर कज़ा कितने किस्म के होता है और बुरे काम की निस्बत किसकी तरफ है आज इसी के बारे में बात करते है 

Taqdeer Kya Hai Unke Baare Me Kuch Riwayate | तक़दीर क्या होती है

तक़दीर क्या होती है 


अल्लाह ताअला के इल्म में जो कुछ आलिम में होने वाला था और जो कुछ बन्दे करने वाले थे उसको अल्लाह ताअला ने पहले ही जान कर लिख लिया. किसी की किस्मत में भलाई लिखी तो किसी की किस्मत में बुराई लिखी. उसे लिख देने से बन्दे को मजबूर नहीं कर दिया गया के जो अल्लाह ताअला ने लिख दिया वह बन्दे को मजबूरन करना पड़ता है बलके बन्दे जैसा करने वाला था वैसा ही उसने लिख दिया. किसी आदमी की किस्मत में बुराई लिखी तो उस लिए के ये आदमी बुराई करने वाला था अगर ये भलाई करने वाला होता तो उसकी किस्मत में भलाई ही लिखा जाता.अल्लाह ताअला के इल्म ने या Allah ताअला के लिख देने से किसी को मजबूर नहीं कर दिया है .


मसलन- तकदीर पर इमान रखना फ़र्ज़ है और तकदीर के मस्ला में बहस करना मना है बस इतना समझ लेना चाहिए के आदमी पत्थर की तरह बिलकुल मजबूर नहीं है के उसका इरादा कुछ ही नहीं बलके अल्लाह ताअला ने आदमी को एक तरह का इख़्तियार दिया है के एक काम चाहे करे चाहे न करे उसी इख़्तियार के बिना पर नेकी या बदी की निस्बत बन्दे की तरफ है अपने आप को बिलकुल मजबूर या बिलकुल मुख़्तार समझना दोनों बदमजहबी व गुमराही है.

तकदीर (कज़ा )की तिन किस्मे है 


  •  क़जाए मुबरम-  कजाए मुबरम एक अटल फैसला होता है जो किसी भी तरह नहीं बदलता है  जब कोई खास बंदा उसके बारे में सिफारिस करना चाहते है तो पहले ही बता दिया जाता है की ये अटल फैसला है,इस मामले को छोड़ दो.
  •  कजाए मुआलक-  ये अटल फैस्लानाही होता है बलके बन्दे की नेकिया और खुशिया से ये फैसला बदल सकता है जैसा की एक हदीस शरीफ में फ़रमाया गया है.
  • मफ्हुमे हदीस- ''यानि हर सूरत में भलाई है उसकी कोशिश करो जो तुमको फ़ायदा दे.और अल्लाह से मदद मांगो. अज़ीज़ मत बने रहो.
  •  कजाए - सिभे मुबरम-  यानि! फरिस्तो के किताब में उसको ''मुबरम'' लिख दिया जाता है मगर! अल्लाह ताअला के इल्म में उसको ''मुआलक '' की दर्जा में रखा जाता है.उसको बहुत ही खास और मोकर्रब बन्दों की सिफारिस और खास दुआ के जरिये तब्दील किया जाता है.


बुरे काम की निस्बत किसकी तरफ है 


बुरा काम करके ये ना कहना चाहिए के खुदा ने चाहा तो हुआ तक़दीर में था तो किया बलके हुक्म ये है के अगर अच्छा काम करे तो कहे के खुदा की तरफ से हुआ है और बुरे काम को अपने तरफ से की है ऐसा समझो.आप लोग ऐसा समज सकते है 

ज़ज़ाकल्लाह 

दोस्तों आपने इस पोस्ट में सीखा Taqdeer Kya Hai Unke Baare Me Kuch Riwayate के बारे में अगर इस लेख में कोई गलती हो अल्लाह ताला अपने मेहबूब के सदके माफ़ फरमाए 'आमीन'

अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है हमे कमेंट करके जरूर बताये और इस पोस्ट को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में शेयर जरूर करे 

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