मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव निबंध

पर्यावरण प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर बढ़ता दुष्प्रभाव

पर्यावरण और मानवता का एक दूसरे से घनिस्ट सम्बन्घ है आज इस तकनीक के दौर में अगर पर्यावरण ही दूषित होगा तो स्वस्छ पानी भोजन और वायु कैसे शुद्ध हो सकती है और जब पर्यावण ही अशुद्ध होगा हमारा स्वास्थ्य कैसे ठीक रहेगा 

हमारे पर्यावरण के मुख्य तत्व भूमि जल वायु , वनस्पति और प्राणी समूह है 


मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव निबंध
मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव निबंध 

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार 

पर्यावरण प्रदूषण निम्न प्रकार से फैलता है -

  • जल एव स्वास्थय
  • वायु में प्रदूषण
  • भूमि में प्रदूषण
  • ध्वनि में प्रदूषण
  • जलवायु और मानव स्वास्थ्य
  • पर्यावरण और स्त्री स्वास्थ्य
  • शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण के प्रभाव

जल एव स्वास्थय 


कारखानों के चलते दूषित पानी से मनुस्य में गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है प्रदूषित जल को पिने से त्वचा रोग, पीलिया,बुखार, कैंसर,टाइडफाइट,अतिसार, पेचिस, फ्लोरोसिस, गर्भपात जैसी बीमारिया शरीर के स्वस्थ्य को नुकसान पहुँचाती है

  दूषित पानी में क्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक रहती है जिसको सेवन करने से हमारे दाँतो रंग काला पड़ जाता है रीड की हड्डी और और हड्डियों  जोड़ बुरी तरह जकड जाते है दूषित जल में नहाने से त्वचा ख़राब हो जाती है और त्वचा रोग के बढ़ने का खतरा रहता है 

वायु में प्रदूषण 


हवा में उपस्थित हानिकारक गैसे वायु को और प्रदूषित कर रही है कारखानों और यातायात साधनो मोटर वाहनों से निकले वाला जानलेवा धुँआ हमारे शरीर में सांस संबधित बीमारिया पैदा कर रहा है इन धुओं के कारण साँस लेना मुश्किल हो गया है 

वायु में हाइड्रोजन की मात्रा बढ़ने से हमारे शरीर में दृढ़ शक्ति कम हो जाती है अगर सल्फर डाई ऑक्साइड की मात्रा में वर्दी होती है तो शरीर में दमा जैसे रोग होने की संभावना बढ़ जाती है और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस के बढ़ने से खून में कमी के कारण केन्दीय स्नायुतंत्र को नुकसान पहुँचता है इस प्रकार ये गैसे हमारे शरीर में असाद्य रोगो को जन्म देती है ख़ासी त्वचा रोग जननीय विकृति जीन में बदलाव आनुवंशिक के खतरे बढ़ जाते है 

भूमि में प्रदूषण 


जमीन के अंदर जहरीले और खतरनाक अनुपयोगी पदार्थो को जमीन में विसर्जन करने से भूमि पर्दूषण का खतरा रहता है जिससे हमारे शरीर में आँत संबधी रोग हो जाते है इसके अलावा टिटेनस , पीलिया , गिल्टी बनना , किडनी को हानि , लीवर में कमजोरी जैसे हालत बन जाते है 


ध्वनि में  प्रदूषण


करखाने यातायात के साधन लाउड स्पीकर मोटर गाड़िया और शोर शराबे से ध्वनि प्रदूषण होता है जिससे शरीर में नींद लेने में व्यवधान गुस्सा और चिचिड़ापन और बहरापन सिरदर्द ब्लड प्रेस्सर का बढ़ना मस्तिक रोग का होना गैस्टिक अल्सर का बढ़ना भूख का न लगना  आदि तरह के रोग पैदा होते है 
रेडियोधर्मी सभी तरह के प्रदूषण से अलग है रेडियोधर्मी शरीर में कई तरह की बीमारिया पैदा करता है जैसे शरीर के अंदर रुधिर कणिकाएं में कमी का आना उलटी होना कैंसर और तो और शरीर में वजन का गिरना अक्सर इन जैसी घातक बीमारियों के होने का खतरा रहता है 

रेडियोधर्मी के प्रदूषण के कारण आज भी जापान में अपंग बच्चे पैदा होते है हमारे वायुमंडल में पीपीएन गैस के बढ़ने से आँखो में तकलीफ और श्वास नली में अधिक रोग होने की सम्भावना बनी रहती है यह गैस इतनी खतरनाक होती है जिससे पेड़ और पौधों दोनों का जीवन खतरे में आ सकता है 

जलवायु और मानव स्वास्थ्य 


कार्बनडाई ऑक्साइड गैस के बढ़ने से हमारे शरीर का ब्लड प्रेस्सर बढ़ जाता है और उपचयन खून की कमी चेचक मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियों के होने का खतरा  रहता है

ओजोन गैस जे क्षय  होने से त्वचा तथा  कैंसर जैसी घातक बीमारियों के होने का खतरा रहता है कोयले  की खानो और रायसनिक फैक्ट्रियो से निकलने वाली अशुद्ध गैसे हमारे शरीर में साँस जैसी और दमा आदि बीमारियों को बढ़ावा देते है 

विश्व विकसित देश  विकासशील राष्ट्र देश रायसनिक उर्वरको और कीटनाशक पदार्थो को उपयोग कर्र्षि क्षेत्र में तेजी से हो रहा है इन हानिकारक पदर्थो के कारण  स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है सयुक्त रास्ट्रय के प्रतिआवेदन में यह कहा गया की दूषित जल पिने से प्रतिदीन 40000 से अधिक लोग मर जाते है 

पर्यावरण और स्त्री स्वास्थ्य 


भोजन और जल के अंदर यदि लेड की  अधिक हो जाती है तो महिलाओ में गर्भपात और मनोराग जैसी व्यधि आती है साथ ही मासिक धर्म की अनियमितता बच्चोमे विकृति आती है और यदि केडमियम की मात्रा अधिक होतो गर्भपात रुक जाता है 

पॉली क्लोरिनेटेड बाई फिनायल शिशु के मंद विकास और जन्मजात मनरोगो का कारण बनती है कार्मिनासक दवाइयाँ गर्भपात और खरपतवार को ख़राब करने वाली दवाइया जन्मजात विकृति और मासिक धर्मो को प्रभावित करती है  बेन्जीन की कमी  शरीर में खून  कमी हो जाती है 

कार्बन मोनो ओक्साइड के बढ़ने से भ्रूण मृत्यु और दिमाग को भारी नुकसान पहुँचता है  29 फीसदी महिलाओ के दूध में कीटनाशक के अंश सर्वोच्च मात्रा में पाए गए है डीडीई की अधिक मात्रा होने पर महिलाओ में स्तन कैंसर होता है ईंधन के प्रदूषण से कुपोषण फेफड़े और नेत्र रोग प्रभावित होते है 


शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण के प्रभाव 


शहरी क्षेत्रों में गाँवो की तुलना में अधिक पर्यावरण प्रदूषण होता है शहरो में कारखानों का धुँआ यातायात और मोटर वाहनों के धुए ईंधन के धुए पर्यावरण को दुषित कर रहे है और मनुष्यो की में बीमारयों को प्रभावित कर रहे है 

आँखो में रोग मानव सिरदर्द छाती में दर्द खासी आदि रोगो को ग्रसित कर रहे है देश के 20 देशो में भारत पर्यावरण प्रदुसित शहरों में 13 वे स्थान पर है  WHO रिपोर्ट के अनुसार भारत देश को प्रतेक वर्ष  80 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ता है 


मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव निबंध
मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव निबंध 2020 

सुझाव 

  • जमीनी स्तर पर काम सुरु करे 
  • घरो में बिजली पानी आदि को बचाये जल सरक्षण को बचने के तरीक़े को अपनाना चाहिए 
  • प्रकर्ति और तकनीक आधुनिकता को संतुलन रखे 
  • प्राकृतिक प्रकाश की अच्छी व्यवस्था रखे अत्यधिक भी न रखे 
  • संगीत रचनात्मकता को बढ़ाता है और ववही हाई वॉल्यूम वाले संगीत सिरदर्द पैदा करता है और असाद्य रोगो को बढ़ावा देता है 
  • पर्यावरण को बचाने के लिए हमें मोडल बनाना चाहिए और इस विषय पर गौर करना चहिये 
  • घरो में कम बिजली वाले एलईडी का उपयोग करना चाहिए 
  • सोलर सिस्टम का उपयोग किया जाना चाहिए 
  • सायकिल का उपयोग करे 
  • नमक और हल्दी बेकिंग सोडा आदि से हेल्दी साफ सफाई बरते 
  • छतो पर छोटे बाग़ बगीचे लगाए 
  • सूरज से ऊर्जा पर जोर दिया जाना चाहिए 
  • कचरा परबंदक को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए 
  • सरकार और गैर सर्कार की सक्रियता से ही पर्यावरण को बचाया जा सकता है 


निष्कर्ष  


पर्यावरण को लेकर हर देश गंभीर है और इसकी जागरूकता भी बड़ी है गंभीर चर्चाये की गयी है अखबारों टेलीविजन और विज्ञापन के माध्यम से इसकी जागरूकता को बढ़ाया गया है पौधा रोपण करने से ही ग्रीन इंडिया मिशन पूरा नहीं होगा हम पोधो को बचाने का संकल्प ले और जयदा से जयदा पोधो को लगाए 

ग्लोबिंग वार्मिंग की समस्या दूर होगी घर में खेत खलियान और उधोग क्षेत्रों में इनको लगाने पर जोर दिया जाना चाहिए किसी भी काम की गारंटी पाने के लिए उस पर मूल रूप से स्वचिक हो अगर पर्यावरण सुधार में देश के सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी अगर छोटे छोटे कदम भी उठाये तो हम इस प्रदूषण से मुक्ति प् सकते है 


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